तेल नीर, तेल पसार चैरासी सहस्र डाकिनीर छेल, विमोह जोगनामोह सर्व मोग्या था था थाह स्वाहा हे गौरी शंकरार्धांगिं! यथा त्वं शंकरप्रिया। ‘‘ऊँ क्रीं वांछितं मे वशमानय स्वाहा।’’ पानी के ऊपर लाल चंदन की सहायता से लेकर धरती पर लगाएं और फिर डंठल को नीचे दबा दें, ताकि पत्ता उठा https://maps.app.goo.gl/7R8QDfUdiadsP3BH7